भू - प्रबंध

वन भूमि व्यपवर्तन :


भारत सरकार ने वर्ष 1980 में वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 लागू किया जिसके अंतर्गत यह प्रावधानित है कि कोई राज्य शासन अथवा वन अधिकारी भारत सरकार के पूर्व अनुमोदन के पश्चात ही वन भूमि के गैर वानिकी उपयोग हेतु आदेश दे सकेंगे । इस अधिनियम की धारा - 2 के अंतर्गत निम्न प्रावधान हैं : -
"किसी राज्य में तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में किसी बात के होते हुये भी, कोई राज्य सरकार या अन्य प्राधिकारी यह निर्देश करने वाला कोई आदेश, केंद्रीय सरकार के पूर्ण अनुमोदन के बिना नहीं देगा : -
  1. कि कोई आरक्षित वन उस राज्य में तत्समय प्रवृत्त किसी विधि में "आरक्षित वन" पद के अर्थ में या उसका कोई प्रभाग आरक्षित नहीं रह जायेगा ।
  2. कि किसी वन भूमि या उसके किसी प्रभाग को किसी वनेत्‍तर प्रयोजन के लिए उपयोग में लाया जाए।
  3. कोई वन भूमि या उसका कोई प्रभाग पट्टे पर या अन्‍यथा किसी प्राइवेट व्‍यक्ति या किसी प्राधिकरण, निगम, अभिकरण या आय संगठन को, जो सरकार के स्‍वामित्‍व, प्रबन्‍ध, नियंत्रण के अधीन नहीं है, समनुदेशित किया जाए।
  4. किसी वन भूमि या उसके किसी भाग से, पुर्नवनरोपण के लिए उसका उपयोग करने के प्रयोजन के लिए, उन वन वृक्षों को, जो उस भूमि या प्रभाग में प्राकृतिक रूप से उग आए हैं, काटकर साफ किया जा सकता है।"

किसी भी आवेदक संस्‍थान द्वारा वन भूमि का गैर वानिकी उपयोग प्रस्‍तावित होने पर वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के अन्‍तर्गत निर्धारित प्रारूप में निश्‍चित अभिलेखों के साथ ऑनलाईन आवेदन प्रस्‍तुत किया जाना अपेक्षित है जो कि क्षेत्रीय अधिकारियों के परीक्षण एवं राज्‍य सरकार के अनुमोदन उपरान्‍त भारत सरकार को भेजा जाता है। भारत सरकार द्वारा प्रकरण में कुछ शर्तों के साथ सैद्धांतिक अनुमति दी जाती है। आवेदक तथा क्षेत्रीय अधिकारियों द्वारा शर्तों की पूर्ति उपरान्‍त भारत सरकार से वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 की धारा-2 के अंतर्गग्‍त वन भूमि के गैर वानिकी उपयोग हेतु औपचारिक अनुमोदन प्राप्‍त किया जाता है। भारत सरकार के औपचारिक अनुमोदन उपरान्‍त राज्‍य शासन द्वारा वन भूमि के गैर वानिकी उपयोग हेतु स्‍वीकृति जारी की जाती है।

भारत सरकार द्वारा अधिसूचना दिनांक 10.10.2014 से वन (संरक्षण) अधिनियम 1980 में संशोधन करते हुये दिनांक 01.11.2014 से समस्त रेखीय (सडक, नहर, विद्युत लाईन एवं रेलवे लाईन) के प्रकरणों की स्वीकृति तथा शेष प्रकरणों में (उत्खनन, जल, विद्युत परियोजनायें तथा अतिक्रमण के प्रकरणों को छोडकर) 40 हेक्टेयर तक वन भूमि व्यपवर्तन की स्वीकृति के अधिकार भोपाल स्थित भारत सरकार के क्षेत्रीय कार्यालय के अंतर्गत गठित क्षेत्रीय साधिकार समिति को सौंपे गये हैं ।

विगत वर्षों में प्रशासनिक तत्परता एवं प्रक्रिया के सरलीकरण के कारण, वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के अंतर्गत प्रस्तावित प्रकरणों की स्वीकृति में लगने वाले समय में काफी सुधार हुआ है। विशेष रूप से प्रकरणों की ऑनलाईन स्वीकृति प्रक्रिया लागू करने से तथा प्रक्रिया के सरलीकरण के कारण प्रकरणों का निराकरण अधिक शीघ्रता से हो रहा है। 

वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 प्रभावशील होने के बाद दिनांक 25.10.1980 से माह मार्च 2022 तक कुल 1261 प्रकरणों में कुल 287336.711 हेक्टेयर वन भूमि प्रत्यावर्तित के गई है। 

वर्ष 1980 से मार्च 2022 तक की अवधि में वन भूमि व्यपवर्तन का गोशवारा तालिका के अनुसार है :- 


व्यपवर्तित वन भूमि
क्र. श्रेणी 1980-90 1991-2000 2001-2010 2011-2020 2021-22 कुल व्यपवर्तित वन भूमि प्रतिशत
1. सिंचाई 62797.147 6308.486 8949.552 6572.700 1702.467 86330.352 30
2. विद्युत 2566.964 487.02 2369.214 3916.700 196.182 9536.08 3
3. खनिज 3664.534 5189.345 4115.89 5618.133 1704.841 20292.743 7
4. विविध 702.849 4757.334 3170.893 5078.516 887.409 14597.001 5
5. रक्षा 12458.038 16632.64 6.27 8081.871 0 37178.819 13
6. अतिक्रमण 119401.716 0 0 0 0 119401.716 42
कुल योग : - 201591.248 33374.825 18611.819 29267.920 4490.899 287336.711 100
प्रत्यावर्तित वन भूमि का वर्षवार तथा श्रेणीवार विवरण परिशिष्ट-1 में संलग्न है। वर्ष 2022 में अंतिम स्वीकृति प्राप्त महत्तवपूर्ण परियोजनाओं का विवरण परिशिष्ट-2 में संलग्न है।
वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 में राज्य शासन / वनाधिकारियों को प्रदत्त अधिकार 

वन क्षेत्रों में गैर वानिकी कार्य करने की अनुमति जारी करने के संबंध में राज्य शासन / क्षेत्रीय वनमंडलाधिकारियों को निम्नानुसार अधिकार भारत सरकार से प्रत्यायोजित किये गये हैं:- 

(क) भारत सरकार द्वारा दिनांक 28.03.2019 से जारी मार्गदर्शिका के अध्याय 4 में वन संरक्षण अधिनियम, 1980 के अंतर्गत निम्न श्रेणियों के कार्यों में 01 हेक्टेयर तक वन भूमि व्यपवर्तन की स्वीकृति के अधिकार राज्य शासन को प्रदत्त किये हैं:-

a. School/Educational Institutes

b. Dispensary/Hospital

c. Electric and Telecommunication lines

d. Drinking Water

e. Water/Rainwater Harvesting Structures

f. Minor Irrigation Canal

g. Non-Conventional Sources of Energy

h. Skill up-gradation/vocational training center

i. Power Sub Stations

j. Communication Posts

k. Construction/Widening of roads including approach road to roadside establishments

l. Upgradation/Strengthening/Widening of existing bridges by BRO

m. Police establishments like police station/outposts/border outposts/towers in sensitive areas (identified by Ministry of Home Affairs)

n. Government approved community toilets partly or fully in forest lands involving not more than one-hectare subject to approval by GP in rural areas and urban bodies in urban areas, and

o. Water Mills.

(ख) भारत सरकार द्वारा वन अधिकार अधिनियम, 2006 के अंतर्गत निम्न श्रेणियों के कार्यों में 01 हेक्टेयर तक वन भूमि जिसमें 75 वृक्ष प्रति हेक्टेयर होने के स्थिति में व्यपवर्तन की स्वीकृति संबंधित क्षेत्रीय वनमंडलाधिकारी को प्रदत्त किये हैं :- 

1. विद्यालय 

2. औषधालय 

3. आंगनबाडी

4. उचित कीमत की दुकानेंं

5. विद्युत और दूरसंचार लाईनें 

6. टंकियां और अन्य लघु जलाशय

7. पेयजल की आपूर्ति और जल पाईप लाईनें 

8. जल या वर्षा जल संचयन संरचनायें

9. लघु सिंचाई नहरें 

10. अपारंपरिक ऊर्जा स्त्रोत

11. कौशल उन्नयन या व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र

12. सडकें

13. सामुदायिक केंद्र

वन (संरक्षण) अधिनियम लागू होने के पश्चात स्वीकृत प्रकरणों का विवरण निम्नानुसार है:- 

 

क्र. वर्ष स्वीकृत प्रकरण व्यपवर्तित वनक्षेत्र का रकबा (हे.मेंं)
1. 2016 22 975.196
2. 2017 19 3264.388
3. 2018 49 7174.518
4. 2019 29 1699.997
5. 2020 56 5762.816
6. 2021 82 4080.200
7. 2022 22 410.699
वन अधिकार अधिनियम, 2006 के अंतर्गत स्वीकृत प्रकरण

म.प्र. शासन वन विभाग के ज्ञापन दिनांक 17.05.2005 द्वारा वनमंडलाधिकारी को वनक्षेत्रों के गुजर रहे 25.10.1980 के पूर्व के कच्चे मार्गों के उन्नयन हेतु सशर्त अनुमति जारी करने के लिये अधिकृत किया गया है। पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत जारी भारत सरकार पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की अधिसूचना दिनांक 19.09.2006 के परिपेक्ष्य में उक्त योजनांतर्गत सडकों के उन्नयन हेतु अलग से पर्यावरणीय स्वीकृति की आवश्यकता नहीं है।

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  • कार्यालय प्रधान मुख्य वन संरक्षक,
    मध्यप्रदेश, वन भवन, तुलसी नगर, लिंक रोड नंबर-2, भोपाल- 462003
  • दूरभाष : +91 (0755) 2674240, 2524132
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