(क) आरक्षित वन गठित करने हेतु भारतीय वन अधिनियम, 1927 की धारा 4 से 20 तक की लम्बी प्रक्रिया से गुजरना होता है। अत: वनभूमि अधिसूचित करने की प्रक्रिया में किसी क्षेत्र को वर्तमान में वैधानिक संरक्षण देने के लिये सर्वप्रथम भारतीय वन अधिनियम, 1927 की धारा 29 के अन्तर्गत संरक्षित वन अधिसूचित किया जा रहा है। वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के अन्तर्गत गत एक वर्ष में वनभूमि के व्यपवर्तन की जारी अनुमति के फलस्वरूप प्राप्त गैर वनभूमियों को भारतीय वन अधिनियम, 1927 की धारा-29 के अन्तर्गत वर्ष 2023 से अब तक कुल 32 वनखण्ड जिनका कुल रकबा 2212.872 हे. भूमि है, की अधिसूचनाऐं मध्यप्रदेश राजपत्र में प्रकाशित की जा चुकी हैं।
भारतीय वन अधिनियम, 1927 की धारा-29 के तहत अधिसूचित संरक्षित वन को आरक्षित वन बनाने के विनिश्चयन की धारा-4 के तहत कुल 04 वनखण्ड जिनका कुल रकबा 10341.074 हेक्टेयर एवं धारा-20 तहत कुल 04 वनखण्ड जिनका रकबा 120.534 हेक्टेयर आरक्षित वन अधिसूचनाऐं मध्यप्रदेश राजपत्र में प्रकाशित की जा चुकी हैं।
राष्ट्रीय उद्यानों/ अभ्यारण्यों से राजस्व ग्रामों एवं वनग्रामों के विस्थापन उपरांत उक्त ग्रामों के पुर्नवास की कार्यवाही प्रचलित है। इस संबंध में उक्त ग्रामों में विस्थापित वनभूमि को भारत सरकार की अनुमति उपरांत भारतीय वन अधिनियम, 1927 की धारा-34 (अ) के तहत 04 वनखण्ड रकबा 233.000 आरक्षित वन के निर्वनीकरण की अधिसूचना मध्यप्रदेश राजपत्र में प्रकाशित की जा चुकी है।
(ख) असीमांकित संरक्षित वनों, जिन्हें नारंगी क्षेत्र कहा जाता है, के सर्वेक्षण में उपयुक्त पाये गये क्षेत्रों को भारतीय वन अधिनियम, 1927 की धारा 4 में अधिसूचित किये जाने की कार्यवाही प्रचलित है।
(ग) अनुपयुक्त पाये गये नारंगी क्षेत्रों के निर्वनीकरण हेतु माननीय सर्वोच्च न्यायालय से अनुमति प्राप्त करने के लिये जानकारी संकलित की जा रही है।
(घ) आरक्षित वनों में व्यक्तिगत एवं सामुदायिक अधिकारों का व्यवस्थापन कर दिया जाता है। संरक्षित वनों में से ऐसे अधिकार यथावत रहते हैं, अत: इनका अभिलेखन किया जाना आवश्यक है। वर्ष 1950 में जागीरदारी एवं जमींदारी प्रथा समाप्त होने के पश्चात शासन के पक्ष में वेष्ठित भूमियों को वर्ष 1958 में व्यक्तिगत एवं सामुदायिक अधिकारों का अभिलेखन किये बिना ही संरक्षित वन अधिसूचित कर दिया गया था। इन अधिकारों का अभिलेख अभी तक लम्बित है। अधिकारों के अभिलेख का काय सक्षम राजस्व अधिकारी द्वारा किया जाना है।
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