संरक्षण

वनसंरक्षण की गतिविधियॉं :

लगातार बढ़ती जा रही आबादी और उसकी आवश्यकताओं एवं आकांक्षाओं में होने वाली सतत् बढ़ोत्तरी के कारण प्रदेश के जैविक संसाधनों विशेषकर वनों, वन भूमि एवं वन्य जीवों का संरक्षण लगातार चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। वर्ष 2008 के पश्चात वन अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद कृषि हेतु भूमि की बढ़ती भूख के कारण वन क्षेत्रों में अतिक्रमण एक गंभीर समस्या है। कुछ बहुमूल्य प्रजातियों जैसे सागौन, खैर आदि की बाजार में बढ़ती मांग के कारण उनकी अवैध कटाई एवं तस्करी संगठित अपराध का रूप लेने लगी है।

संयुक्त वन प्रबंधन समितियों के सदस्यों की सक्रिय भागीदारी, क्षेत्रीय इकाईयों की प्रतिबद्धता तथा स्थानीय जिला एवं पुलिस प्रशासन के सहयोग से वन एवं वन्यजीवों से संबंधित अपराधों की रोकथाम के लिए निरंतर ईमानदार प्रयास किये जा रहे हैं, जिसके वांछित परिणाम भी प्राप्त हो रहे हैं। विभाग द्वारा विगत पांच वर्षों में पंजीबद्ध वन अपराध प्रकरणों का विवरण तालिका में दर्शित है।

वन अपराधों का विवरण
वन अपराध प्रकरण 2011 2012 2013 2014 2015 2020 2021 2022 2023 2024 (अप्रैल तक)
अवैध कटाई के प्रकरण 55699 54634 54011 52613 48988 48035 45591 42667 43864 9206
अवैध चराई के प्रकरण 1325 1112 1031 877 933 700 590 460 365 65
अवैध परिवहन के प्रकरण 2282 2082 2239 2137 1968 1747 1931 1618 1507 446
अतिक्रमण प्रकरण संख्या 1479 2411 1699 1573 1658 1928 1825 1593 1257 154
नवीन प्रभावित क्षेत्र (हे.) 2010 4997 3679 3140 2622 2490 2110 3298 2161 310
अवैध उत्खनन प्रकरण संख्या 1014 758 1257 1186 986 1062 981 953 679 211
प्रभावित क्षेत्र  (हे.) 4357 3107 279 659 631 1772 5802 1241 954 301
कुल पंजीबद्ध वन अपराध 66514 64910 62293 60411 56174 56932 58108 52904 50180 10688
जप्त वाहनों संख्या 1001 1592 1126 1295 1651 1877 1850 1793 1593 272
न्यायालय में प्रस्तुत प्रकरण 2110 2113 2885 3180 3227 2406 3210 3335 2381 -
वन अपराध प्रमशन एवं अन्य विविध प्राप्तियॉं (लाख में) 296.47 318.98 429.87 451.49 387.31 32276.96 35916.67 50146.11 49281.72 -
पर्यावरण एवं वनों की सुरक्षा की दृष्टि से काष्ठ के चिरान एवं व्यापार को लोकहित में विनियमित करने के लिये बनाये गये म0प्र0 काष्ठ चिरान (विनियमन) अधिनियम 1984 के प्रावधानो का उल्लंघन करने पर दर्ज किये गये वन अपराध प्रकरणों का विवरण तालिका में दर्शित है : -
वर्षवार दर्ज प्रकरण
वन अपराध प्रकरण 2011 2012 2013 2014 2015 2020 2021 2022 2023 2024(अप्रैल तक)
प्रकरण संख्या 385 301 308 184 172 50 86 118 80 20
वनों की प्रभावी सुरक्षा हेतु क्षेत्रीय कर्मचारियों की गतिशीलता बढ़ाने हेतु पर्याप्त संख्या में वाहन उपलब्ध कराये गये हैं। अतिसंवेदनशील वनक्षेत्रों में बीट व्यवस्था के साथ ही सामूहिक गश्ती हेतु वन चौकियों की स्थापना की गई है। वर्ष 2023 की स्थिति में 329 वन चौकियां कार्यरत हैं। प्रत्येक चौकी में गश्ती हेतु शासकीय अथवा अनुबंधित वाहन उपलब्ध कराये गये हैं
वन अपराधों पर नियंत्रण एवं त्वरित कार्यवाही हेतु प्रत्येक वन वृत्त में उड़नदस्ता दल कार्यरत हैं। उड़नदस्ता दल में पर्याप्त संख्या में वनकर्मी, शस्त्र एवं वाहन उपलब्ध हैं। ऐसे क्षेत्रों में, जहां संगठित वन अपराधों की संभावना है, विशेष सशस्त्र बल की 3 वाहिनियों, क्रमश: 8 वीं वाहिनी - छिन्दवाड़ा, 15 वीं वाहिनी - इन्दौर तथा 26 वीं वाहिनी - गुना के 221 सशस्त्र अधिकारी एवं कर्मचारी पदस्थ हैं जिन्हें 14 संवेदनशील वनमण्डलों में संलग्न किया गया है। परिक्षेत्राधिकारी, संवेदनशील वन चौकी एवं वृत्त स्तरीय उड़नदस्ता दल हेतु कैम्पा योजना के माध्यम से 516 वाहन अनुबंधित कर उपलब्ध कराये गये हैं। वर्ष 2024 में माह अप्रेल 10688 वन अपराध प्रकरण दर्ज किये गये।

वर्ष 2023 की विशिष्ट उपलब्धियॉं -

  1. राज्य में वन एवं वन्यप्राणी सुरक्षा के लिये संवेदनशील क्षेत्रों में वन भूमि पर अतिक्रमण अवैध वृक्ष कटाई, अवैध उत्खनन एवं अवैध शिकार आदि वन अपराधों में पेशेवर अपराधिक तत्व शामिल रहते हैं, जो वन कर्मचारियों द्वारा नियमानुसार कार्यवाही में बाधा डालने में सक्षम हैं। ऐसे असामाजिक तत्व हथियारों का उपयोग भी करते हैं। विभिन्न क्षेत्रों में वन अपराधियों से आमना-सामना एवं मुठभेड़ होने की अनेक वारदातें होती हैं।
    वर्ष 2023 में वन अपराध प्रकरणों में कार्यवाही के दौरान वन कर्मियों के कर्तव्य निष्पादन के दौरान उनके ऊपर हमले की 18 घटनायें हुईं जिसमें 12 वन कर्मचारी घायल हुये। डिण्डोरी वन मण्डल अंतर्गत 05 मई 2024 को श्री राजेन्द्र सिंह कुसरे, प्रभारी वनपाल परिक्षेत्र सहायक बटौधा का शासकीय कार्य निर्वहन (जंगल की आग बुझाने) के दौरान निधन।
  2. (अ) वित्तीय वर्ष 2023-24 में प्रशासन सुदृढ़ीकरण योजना अंतर्गत वन सुरक्षा को सुदृढ़ करने हेतु वन चौकियों में सुरक्षा श्रमिको की व्यवस्था, वन चौकी हेतु सुरक्षा सामग्री, पेयजल, सुरक्षा किट (हेलमेट, चेस्टगार्ड, डंडा आदि), सीसीटीवी कैमरा, वन चौकी वाहनो की मरम्मत, टायर ट्युब, वन संरक्षण विषय पर प्रशिक्षण तथा कम्प्यूटर, प्रिन्टर हेतु क्षेत्रीय कार्यालयों को राशि उपलब्ध कराई गई है। इसके अतिरिक्त सूचनाओं के त्वरित आदान प्रदान के लिये मोबाईल सिम नेटवर्क एवं आवश्यकतानुसार किराये के वाहनों हेतु भी राशि उपलब्ध कराई गई है।
    (ब) केन्द्र प्रवर्तित योजना (फॉरेस्ट फायर प्रिवेन्शन एंड मैनेजमेन्ट स्कीम) के अंतर्गत अग्नि सुरक्षा कार्य, मृदा संरक्षण कार्य, वन अग्नि की प्रति जागरूकता कार्य 55 से अधिक वनमण्डलों को आधुनिक ड्रोन से सुसज्जित कर मानिटंरिग व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने का प्रयास, फायर लाईन कटाई एवं जलाई तथा फायर वाचर्स का नियोजन किया गया।
    (स) कैम्पा योजना अंतर्गत अग्नि सुरक्षा हेतु अग्नि रेखाओं, फायर वाचर्स, प्रशिक्षण के साथ साथ ब्रशवुड कटर, ब्लोअर, एवं अग्नि रोधी किट हेतु क्षेत्रीय इकाइयों को बजट उपलब्ध कराया गया है। दूरस्थ वनांचलों में जहॉ अन्य संचार साधन उपलब्ध नहीं है, वहां वायरलेस संचार नेटवर्क को पुनर्स्थापित करने हेतु भी राशि उपलब्ध कराई गई है।

मध्यप्रदेश में काष्ठ आधारित उद्योगों को प्रोत्साहन:-

मध्यप्रदेश में काष्ठ आधारित उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिये मध्यप्रदेश शासन, वन विभाग द्वारा मध्यप्रदेश काष्ठ चिरान (विनियमन) अधिनियम 1984 की धारा-च में संषोधन किया है जो मध्यप्रदेश काष्ठ चिरान (विनियमन) संषोन अधिनियम 2021 के रूप में मध्यप्रदेश राजपत्र दिनांक 14 जनवरी 2022 के रूप में अधिसूचित हुआ है। इस संषोधन के उपरान्त ऐसे उद्योग या प्रसंस्करण संयंत्र, जो घरेलू मूल की लकड़ी के गोल लट्ठों का प्रयोग नहीं करते है या जो 30 से0मी0 व्यास के अधिक के चक्राकार आरे या बेण्ड सॉ या री-सॉ के बिना प्रचालन करते है एवं प्रतिषिद्ध क्षेत्रों से बाहर स्थापित है उन्हे इस अधिनियम के अंतर्गत आरामिल की अनुज्ञप्ति लेने की आवष्यकता नहीं होगी।
ऐसे उद्योग या प्रसस्ंकरण संयंत्र जो चिरी हुई इमारती लकड़ी, बेंत, बांस, नरकट, प्लाईवुड, विनीयर या आयातित लकड़ी, ब्लाक बोर्ड, मीडियम डेनसिटी फाईबर-बोर्ड या इसी प्रकार के काष्ठ आधारित उत्पाद या राज्य में कटाई तथा पारगमन व्यवस्था के अधिकार क्षेत्र में छूट प्राप्त प्रजातियों से प्राप्त गोल लट्ठे या इमारती लकड़ी का उपयोग करते है, के लिए भी अनुज्ञप्ति अपेक्षित नहीं होगी।
उपरोक्त संशोधन के उपरान्त मध्यप्रदेश में काष्ठ आधारित उद्योगों की स्थापना को गति मिलेगी एवं इन उद्योगों की मांग की पूर्ति के लिये वन क्षेत्रों से बाहर वृक्षारोपण गतिविधियों को भी प्रोत्साहन मिलेगा।

वन सुरक्षा प्रबंधन में सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग

वन सुरक्षा के अनुश्रवण हेतु इंटरनेट आधारित ”वन अपराध प्रबंधन प्रणाली“ (एफ.ओ.एम.एस.) विकसित की गई है। साथ ही समस्त क्षेत्रीय एवं वन्यप्राणी वनमण्डलों को एफ ओ सी आर पंजी के स्थान पर ”वन अपराध प्रबंधन प्रणाली“ (एफ.ओ.एम.एस.) पर ही प्रकरण दर्ज करने की व्यवस्था लागू की गई है।
वन अपराध प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से अपराधों के पंजीयन, उनकी जांच, अभिसंधान, वसूली, न्यायालय में चालान इत्यादि कार्यवाही की सतत् समीक्षा की जाती है।
अग्नि घटनाओं की सामयिक जानकारी प्राप्त करने हेतु भारत सरकार के भारतीय वन सर्वेक्षण संस्थान देहरादून द्वारा विकसित ’‘वन अग्नि सचेतन संदेश प्रणाली’’ (फायर एलर्ट मेसेजिंग सिस्टम) विकसित की गई है, जिसके अच्छे परिणाम प्राप्त हो रहे है।
राज्य स्तरीय वन अग्नि अनुश्रवण समिति की लगातार बैठके आयोजित की जाकर अग्नि सुरक्षा के दृष्टिगत आगामी वर्षो में महुआ हेतु 15000 नेट लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया, वन अग्नि सचेतन संदेश प्रणाली में 45289 मोबाईल रजिस्ट्रेशन नम्बरों में वृद्वि करते हुये लगभग 82489 रजिस्ट्रेशन पूर्ण किये गये, जो कि भारत में प्रथम स्थान पर है। सयुंक्त वन प्रबंधन समितियों को अग्नि सुरक्षा कार्यो में जोड़ा जा रहा है। अग्नि सुरक्षा के लगातार प्रयास जारी है, भारत सरकार द्वारा विभिन्न स्तर पर राज्य के प्रयासों को सराहा गया है।
वन अपराध प्रबंधन प्रणाली में दर्ज वर्ष 2023 में अग्नि घटनाओं के 17495 प्रकरणों में 4496 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है।
क्रमांक विषय वस्तु स्केनकापी
1. मध्य प्रदेश में वन अपराधों की स्थिति (वर्ष 2013) पुस्तिका (पृष्ठ क्रमांक 1 से 25) डाउनलोड 15.63MB
2. मध्य प्रदेश में वन अपराधों की स्थिति (वर्ष 2013) पुस्तिका (पृष्ठ क्रमांक 26 से निरंतर) डाउनलोड 18.01MB
3. वन संरक्षण कार्यों से संबंधित विभिन्न प्रपत्र डाउनलोड 6.74MB

अन्य वेबसाइट
संपर्क करें
  • कार्यालय प्रधान मुख्य वन संरक्षक,
    मध्यप्रदेश, वन भवन, तुलसी नगर, लिंक रोड नंबर-2, भोपाल- 462003
  • दूरभाष : +91 (0755) 2674240, 2524132
सामाजिक मीडिया