वनस्पति एवं वन्यप्राणी : |
सागौन (टेक्टोनाग्रांडिस), तेंदू (डायोसपायरस मेलानॉस्किलोन), महुआ (मधुका इंडिका), अचार (बुचानानिया लेनजेन), गुंजा (लैनिया कोरोमंडलिका), करधई (एनोजेसेस पेंडुला), धाओरा (ऐनोजेसस लाटीफोलिया), सलई (बोसवेलिया सेर्राटा), खैर (आकाशीय कैटेचू), बेल (एजल मारमिलोस), पलाश (ब्यूटिया मोनोस्परमा), अर्जुन (टेरमिनालिया अर्जुन), साजा (टेरमिनालिया टोमेनटोसा), अमलताश (कासिया फिस्टुला) ऑंवला (इंबालिका ओफिसिनालिस) कुल्लु (स्टेरकुलिया यूनर्स)।
बाघ, तेंदुआ, जंगली बिल्ली, भूरी चित्तीदार बिल्ली, लकड़बग्घा, जंगली कुत्ता, भेडि़या, सियार, रीछ, सांभर, चिततीदार हिरन या चीतल, ब्ल्यू बुल या नीलगाय, चिंकारा, फोरहोर्नड एंडीलोप या चौसंगा, सेही आदि।
यहॉ 200 से ज्यादा पक्षियों की शिनाख्त की जा चुकी है राज्य पक्षी का दर्जा हासिल दूधराज (पैराडाइज फलाइज कैचर) पन्ना में पाया जाता हैं। पन्ना टाईगर रिजर्व में सहजता के साथ देखे जाने वाले पक्षियों में है - बगुला या अन्धा भोग गुलबदना, फाख्ता, मोर, बटेर, तीतर, टुइयां तोता, टिटहरी, मलहत, मौखिया, शक्करखोरा, कलचिड़ी, दयाल, रॉबिन लटूर, पील कोतवाल, देशी तोता, डोगरा, चील, भट, तीतर, नीलकंठ नौरंग, और पवई मैना।
पन्ना टाईगर रिजर्व के जंगलों में भारतीय गोह (बावारनस बंगालेनसिस), भारतीय अजगर (पायथन मोलूरस), कोबरा (नाजानाजा) के अलावा केन नदी में घडि़याल (गावियालिस गंजटीकस), और मगरमच्छ (क्रोकोडाइलस पालूस्टरिस) भी पाए जाते हैं।
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पर्यटन जानकारी : |
खजुराहो से गाड़ी से सिर्फ आधे घंटे में तय 25 कि.मी. के सफर पर पन्ना बाघ रिजर्व है। यह सही हैं कि बाघों को देख पाना सिर्फ मौके की बात है, पर करीब-करीब रोज ही बाघों को देखे जाने की खबर मिलती रहती है। चीतल, सांभर, नीलगाय, चिंकारा, लंगूर, चौसिंगा, जंगली सुअर, सियार को तो आमतौर पर देखा जा सकता है। रिजर्व के भीतर केन नदी के रास्ते में बनी कंदराएं और झरने मन मोह लेते है।
गर्मियों में शुष्क मटमैले वन बारिष के मौसम में अभूतपूर्व हरियाली से भरे-पूरे हो उठते है। गोंडवाना काल (मध्य भारत में आदिवासी लोगों का शासन) में बने स्थल रिजर्व में फैले हुए हैं। साल में करीब 37000 वन्यजीवों प्रेमियों के अलावा 35000 लोग सिर्फ क्षेत्र में स्थित पाण्डव प्रपात को देखने के लिए पहुंचते हैं।
- पर्यटन प्रवेश द्वार का विवरण :- मंडला, हिनौता
- पर्यटन जोन :- 02
- पर्यटन धारण क्षमता :-70
ठहरने की व्यवस्था |
कमरों की क्षमता |
बिस्तरों की संख्या |
कर्णावती वन विश्राम गृह |
02 |
04 |
वन विश्राम गृह मंडला |
02 |
04 |
वन विश्राम गृह हिनौता |
04 |
08 |
जंगल काटेज हिनौता (काटेज/टेन्ट) |
08+06 |
28 |
पहुंच मार्ग :
- रेल मार्ग :
- खजुराहो - 25 कि.मी. दिल्ली से आने वाले पर्यटकों के लिए।
- झांसी (180 कि.मी.) - मुंबई, दिल्ली और चेन्नई से आने वाले पर्यटकों के लिए।
- सतना (90 कि.मी.) - दिल्ली, कोलकाता और वाराणसी से आने वाले पर्यटकों के लिए।
- कटनी - (150 कि.मी.) - मुंबई, चेन्नई और नागपुर से आने वाले पर्यटकों के लिए।
- सड़क मार्ग :
- सतना - हिनौता एवं मंडला गेट 90 कि.मी.
- खजुराहों से 25 कि.मी. मंडल
- खजुराहों से 63 हिनौता गेट व मझगंवा (हीरे की खदान) 63 कि.मी.
- वायु मार्ग :
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