वन्यजीव प्रबंधन

नेशनल वॉइल्ड लाईफ ऐक्शन प्लान (2017-2031) (National Wildlife Action Plan (2017-2031))

स्टेट वॉइल्ड लाईफ ऐक्शन प्लान (2023-2043) (State Wildlife Action Plan (2023-2043)) 18.97MB

वन्यजीव प्रबंधन :

प्रदेश में वन्यप्राणियों का संरक्षण एवं प्रबंधन वन्यप्राणी (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के अन्तर्गत किया जाता है।

प्रदेश के संरक्षित क्षेत्र:-

राज्य शासन द्वारा वन्यप्राणी संरक्षण को उच्च प्राथमिकता दी गई है। मध्यप्रदेश में वन्यजीव संरक्षित क्षेत्रों का क्षेत्रफल 11198.954 वर्ग किलोमीटर है। प्रदेश में 11 राष्ट्रीय उद्यान एवं 24 वन्यप्राणी अभयारण्य हैं। कान्हा, बांधवगढ़, पन्ना, पेंच, सतपुड़ा एवं संजय राष्ट्रीय उद्यानों तथा इनके निकटवर्ती 07 अभयारण्यों को समाहित कर प्रदेश में 06 टाइगर रिजर्व पूर्व से अधिसूचित हैं। इसके अतिरिक्त वर्ष 2023 में वीरांगना दुर्गावती अभ्यारण्य को समाहित कर किया गया है। तथा रातापानी टाईगर रिजर्व का गठन दिसम्बर 2024 में किया गया है। इन 08 टाइगर रिजर्व का कोर ज़ोन 6951.458 वर्ग कि.मी. तथा बफर ज़ोन 6833.377 वर्ग कि.मी. है। डिण्डौरी जिले के घुघवा में फॉसिल राष्ट्रीय उद्यान स्थित है जहाँ 06 करोड़ वर्ष तक पुराने जीवाश्म संरक्षित किये गये हैं। धार जिले में “डायनोसोर जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान, बाग“ स्थापित किया गया है। भोपाल के वन विहार राष्ट्रीय उद्यान को आधुनिक चिड़ियाघर के रूप में मान्यता प्राप्त है। बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के सहयोग से केरवा, भोपाल में गिद्धों के संरक्षण हेतु प्रजनन केन्द्र की स्थापना की गई है। इसके अतिरिक्त मुकुन्दपुर, जिला सतना में व्हाइट टाइगर सफारी एवं चिड़ियाघर स्थापित किया गया है। प्रदेश के रायसेन जिले में प्रदेश का पहला डोम आधारित बटरफ्लाई पार्क बनाया गया है। बाघ, बारासिंघा, मगर, डॉल्फिन, घड़ियाल, तेन्दुआ, गौर एवं काला हिरण प्रदेश को पहचान देने वाली मुख्य वन्यप्राणी प्रजातियां हैं। प्रदेश के संरक्षित क्षेत्रों की सूची परिशिष्ट-20 में दी गई है। प्रदेश के कुछ संरक्षित क्षेत्रों के गठन की अंतिम अधिसूचना जारी होना शेष है। प्रदेश के संरक्षित क्षेत्रों की अंतिम अधिसूचना की स्थिति परिशिष्टों में संलग्न है।

करैरा अभयारण्य का डिनोटिफिकेशनः-

मध्यप्रदेश शासन वन विभाग द्वारा सोनचिड़िया के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु दिनांक 21 मई 1981 को 202.21 वर्ग कि. मी. राजस्व क्षेत्र को करैरा अभयारण्य के रूप में गठन किया गया था। अभयारण्य के अंतर्गत 33 राजस्व ग्रामों का क्षेत्र सम्मिलित था, जिससे अभयारण्य क्षेत्र में वन्यप्राणी (संरक्षण) अधिनियम 1972 की धारा 20 लागू होने के कारण भूमि के क्रय-विक्रय पर प्रतिबंध होने से, इन ग्रामों की जनता को हो रही परेशानियों एवं अधिसूचित अभयारण्य क्षेत्र में विगत कई वर्षों से सोनचिड़िया नहीं देखे जाने के कारण मध्यप्रदेश शासन द्वारा अधिसूचना दिनांक 22.07.2022 से करैरा अभयारण्य को पूर्ण रूप से डिनोटिफाई/समाप्त कर दिया गया है। करैरा अभयारण्य के डिनोटिफाई होने से उक्त 33 ग्रामों के ग्रामीणों की भूमि के क्रय-विक्रय की समस्या का समाधान हो गया है।

कर्माझिरी अभयारण्य, सिवनी का गठनः-

मध्यप्रदेश शासन, वन विभाग द्वारा आरक्षित वन क्षेत्रों का वन्यजीव तथा पर्यावरण के संरक्षण, संबर्धन या विकास के प्रयोजन के लिये पर्याप्त रूप से पारिस्थितिक, प्राणी वनस्पति तथा प्राणी विज्ञान महत्व का होने के कारण वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 की धारा 26-क (1) (ख) के अंतर्गत 14.14 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कर्माझिरी अभयारण्य के रूप में गठित किया गया है।

नौरादेही टाईगर रिजर्व का गठनः-

राज्य शासन द्वारा नौरादेही अभ्यारण्य एवं रानी दुर्गावती अभ्यारण्य को अधिसूचना क्रमांक 20.09.2023 से 2339.13 वर्ग कि.मी. क्षेत्र को समाहित कर वीरांगना दुर्गावती टाईगर रिजर्व कोर क्षेत्र का गठन किया गया है, जिसमें कोर क्षेत्र 1414.008 वर्ग कि.मी. तथा बफर क्षेत्र 925.122 वर्ग कि.मी. है। इसी प्रकार राज्य सरकार द्वारा रातापानी अभ्यारण्य को रातापानी टाईगर रिजर्व अधिसूचना क्रमांक 02.12.2024 से घोषित किया गया है, जिसमें कोर क्षेत्र 763.813 वर्ग कि.मी. तथा बफर क्षेत्र 507.653 वर्ग कि.मी.है।

वन्यप्राणी संरक्षण:-

वन्यप्राणियों के संरक्षण एवं प्रबंध की मौलिक जिम्मेदारी संबंधित क्षेत्रीय इकाईयों एवं क्षेत्रीय वनमण्डलों की है। इनकी सहायता के लिए प्रदेश में निम्न अतिरिक्त व्यवस्थायें की गई हैं:-

  • मध्यप्रदेश राज्य में गंभीर संघठित वन्यप्राणी अपराध अन्वेषण स्टेट टाइगर स्ट्राईक फोर्स एवं चार ईकाइयां क्रमशः भोपाल, इन्दौर, जबलपुर एवं शिवपुरी में कार्यरत है।
  • वनों के समीपस्थ बसाहटों में वनों से भटककर आने वाले वन्यप्राणियों को पकड़़ कर सुरक्षित रूप से अन्यत्र छोड़ने के लिये रीजनल वन्यप्राणी रेस्क्यू स्क्वॉड्स की संख्या 10 से बढ़ाकर 15 की गई है।
  • प्रदेश में वन्यप्राणियों के विरूद्ध हुये अपराधों में कारगर अन्वेषण, अपराधियों एवं वन्यप्राणी सामग्री की खोज के लिये 16 प्रशिक्षित डॉग स्क्वाड्स का गठन किया गया है। इससे वन्यप्राणी अपराधों के अन्वेषण में अभूतपूर्व सफलताएं प्राप्त हुई हैं।
  • म.प्र. वन विभाग के वन्यप्राणी अपराध नियंत्रण के विशेष प्रयासों को और अधिक प्रभावी बनाने के उद्देश्य से माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर के द्वारा प्रदेश के पांच स्थानों क्रमशः जबलपुर, इन्दौर, होशंगाबाद, सागर एवं सतना में विशेष न्यायालयों की स्थापना की गई है। उक्त न्यायालय STSF के द्वारा पंजीकृत अपराध प्रकरणों की सुनवाई करेंगे। प्रत्येक न्यायालय में ACJM स्तर के एक न्यायाधीश की नियुक्ति की गई है।
  • टाइगर रिजर्व एवं अन्य महत्वपूर्ण संरक्षित क्षेत्रों की परिधि में स्थित क्षेत्रीय वन मण्डलों के बाघ विचरण वाले क्षेत्रों में स्थित 56 परिक्षेत्रों में सुरक्षा तंत्र को सुदृढ़ करने हेतु पेट्रोलिंग चौकी निर्माण तथा वाहन, वायरलेस एवं अन्य उपकरण प्रदाय किये गये हैं।
  • संरक्षित क्षेत्रों के अंतर्गत वन्य पशुओं के स्वास्थ्य परीक्षण एवं इलाज के लिए 10 पशु चिकित्सकों का पृथक कैडर कार्यरत है।
  • नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय जबलपुर के अंतर्गत स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ फॉरेंसिक एंड हेल्थ वन विभाग की सहायता से संचालित है।

वन्यप्राणियों की अवैध शिकार एवं अन्य कारणों से मृत्यु:-समस्त प्रयासों के बाद भी प्रदेश में प्रति वर्ष वन्य प्राणियों के अवैध शिकार एवं अन्य कारणों से मृत्यु के प्रकरण घटित होते हैं। विगत पांच वर्षों की प्रकरण संख्या का विवरण तालिका में दर्शित है।

अवैध शिकार एवं मृत्यु प्रकरण

वर्ष अवैध शिकार प्रकरण अन्य मृत्यु प्रकरण योग
2020 472 736 1208
2021 370 456 826
2022 600 481 1081
2023 311 215 626
2024 410 228 638

उपरोक्त प्रकरणों में अवैध शिकार एवं अन्य कारणों से मृत विभिन्न वन्य प्राणियों की संख्या का विवरण तालिका में दर्शित है।

अवैध शिकार एवं मृत वन्यप्राणी की संख्या
वर्ष अवैध शिकार से मृत वन्यप्राणियों की संख्या अन्य कारणों से मृत वन्य प्राणियों की संख्या योग
2020 498 813 1311
2021 376 480 856
2022 480 497 977
2023 321 320 641
2024 306 245 551

मानव तथा वन्यप्राणियों के बीच द्वंद्व कम करने के प्रयास:-

वन्यप्राणियों से जन हानि होने पर राहत राशि का भुगतान:-

  • उद्देश्य -वन्य प्राणियों द्वारा जन हानि किये जाने पर मृत व्यक्ति के परिवार को राहत राशि उपलब्ध कराना।

पात्रता की शर्तें:-राहत राशि के भुगतान के लिए आवश्यक पात्रता की शर्तें निम्नानुसार हैंः

  1. जन-हानि (मृत्यु) वन्यप्राणी (सांप, गुहेरा एवं जहरीले जन्तु को छोड़कर) द्वारा हुई हो (यहां वन्य प्राणी से तात्पर्य वन्य प्राणी (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में दी गई परिभाषा से है)
  2. आवेदनकर्ता मृत व्यक्ति का उत्तराधिकारी/परिवार का सदस्य/रिश्तेदार हो वर्तमान में म.प्र. लोक सेवाओं के प्रदान की गारंटी अधिनियम, 2010 के तहत वन्य प्राणियों से जन हानि हेतु राहत राशि के भुगतान की निर्धारित समयावधि आवेदन दिनांक से तीन कार्य दिवस है।

वन्यप्राणियों से जन घायल होने पर राहत राशि का भुगतान

  • उद्देश्य -वन्य प्राणियों से घायल व्यक्ति को राहत राशि उपलब्ध कराना ।
    घायल व्यक्ति को शासन के आदेश क्रमांक/एफ 15-13/2007/10-2 दिनांक 29 अप्रैल, 2016 एवं शासन के आदेश दिनांक 10.12.2022 के अनुसार निम्नानुसार क्षतिपूर्ति की राशि दिये जाने का प्रावधान है जिसका विवरण तालिका में दर्शित हैः-
क्र. वन्यप्राणियों द्वारा की जाने वाली हानि राहत राशि
1. वन्यप्राणियों द्वारा जनहानि होने पर रू. 8,00,000 (आठ लाख) मात्र एवं इलाज पर हुआ वास्तविक व्यय
2. स्थायी विकलांगता होने पर रू. 2,00,000 (दो लाख) मात्र एवं इलाज पर हुआ वास्तविक व्यय
3. जनघायल होने पर इलाज पर हुआ वास्तविक व्यय तथा अस्पताल में भर्ती रहने की अवस्था में अतिरिक्त रूप में रू. 500/- प्रतिदिन (अस्पताल में भर्ती रहने की अवधि हेतु) (क्षतिपूर्ति की अधिकतम सीमा रू. 50,000/- (पचास हजार) तक होगी)
वर्तमान में म0प्र0 लोक सेवाओं के प्रदान की गारंटी अधिनियम, 2010 के तहत वन्य प्राणियों से जन घायल होने पर राहत राशि के भुगतान की निर्धारित समयावधि आवेदन दिनांक से सात कार्य दिवस है।

वन्य प्राणियों से पशु-हानि एवं पशुघायल हेतु राहत राशि का भुगतान

  • योजना का स्वरूप और कार्यक्षेत्र -

वन्य प्राणियों द्वारा घरेलू निजी पशुओं को मारे जाने पर पशु मालिकों को प्रति मवेशी आर्थिक सहायता राजस्व पुस्तक परिपत्र के प्रावधानों के अनुसार उपलब्ध करवायी जाती है तथा वन्यप्राणियों से पशुघायल होने पर शासन के आदेश क्रमांक/एफ 15-13/2007/10-2 दिनांक 29 अप्रैल, 2016 के अनुसार प्रभावित लोगों को वर्तमान में राजस्व पुस्तक परिपत्र के प्रावधानों के अनुसार वन्यप्राणियों द्वारा पशुहानि हेतु देय मुआवजा राशि की 50 प्रतिशत राशि तक क्षतिपूर्ति राशि दिये जाने का प्रावधान है।

  • योजना क्रियान्वयन की प्रक्रिया - सहायता पाने के लिये यह आवश्यक है कि -
  1. निजी पशु मारे जाने/घायल किये जाने पर सूचना समीप के वन अधिकारी को घटना के 48 घंटे के अंदर दी गई हो।
  2. मारे गये मवेशी/ पशु को मारे गये स्थान से नहीं हटाया गया हो।
  3. वर्तमान में म.प्र. लोक सेवाओं के प्रदान की गारंटी अधिनियम, 2010 के तहत वन्य प्राणियों से पशु हानि हेतु राहत राशि के भुगतान की निर्धारित समयावधि आवेदन दिनांक से तीस कार्य दिवस है।

वन्यप्राणियों से फसल हानि का मुआवजा

  • योजना का स्वरूप और कार्यक्षेत्र -

मध्यप्रदेश लोक सेवाओं के प्रदान की गारंटी अधिनियम 2010 के तहत् वर्तमान में सेवा क्रमांक 4.6 में राजस्व विभाग द्वारा वन्यप्राणियों से किसानों की फसलों को पहुंचाई जाने वाली हानि का मुआवजा 30 कार्य दिवस में दिये जाने का प्रावधान है। इसके तहत हानि का आंकलन राजस्व विभाग में प्रचलित प्रक्रिया अनुसार राजस्व अधिकारी द्वारा किया जाता है जिसका विवरण तालिका में दर्शित हैः-

मध्यप्रदेश में वन्यप्राणियों से जनहानि, जनघायल एवं पशुहानि के कुल प्रकरण एवं मुआवजा

वर्ष जनहानि प्रकरण राशि(रू.में) जनघायल प्रकरण राशि(रू.में) पशुहानि प्रकरण राशि(रू.में)
2019-20 51 20030838  1190 8736774 9760 88330916
2020-21 90 32788407  1273 9550946 12948 97206733
2021-22 57 22117423  1003 9354937 13685 116865913
2022-23 86 34034697  1320 12464921 16762 150655102
2023-24 76 58894565 1232 13277572 14046 123431898
  • ग्रामीणों का पुर्नवास:-

वन्यप्राणी संरक्षण तथा मानव-वन्यप्राणी द्वंद्व को कम करने के लिए वन्यप्राणी (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के अनुसार बाघों के क्रिटिकल रहवास क्षेत्रों से समस्त ग्रामों का पुनर्स्थापन आवश्यक है। शेष संरक्षित क्षेत्रों के चिन्हित ग्रामों का भी पुनर्स्थापन किया जाना प्रावधानित है। इस हेतु रूपये 15.00 लाख प्रति पुनर्वास इकाई की दर से ग्राम के पुनर्वास के लिए राशि का निर्धारण किया जाता है। इसके लिये केन्द्र प्रवर्तित योजना एवं राज्य योजना के अंतर्गत राशि प्राप्त हो रही है। राज्य शासन की नीति के अनुसार पुनर्स्थापन का कार्य ग्रामवासियों की सहमति के उपरांत ही किया जाता है। पर्यटन कैबिनेट के निर्णय अनुसार संरक्षित क्षेत्र के बाहर अंदरूनी वन क्षेत्र में स्थित ग्राम को भी उनकी सहमति प्राप्त होने पर अन्य पुर्नस्थापित किया जा सकता है। विगत वर्षों में पुनर्स्थापित किये गये ग्रामों की संख्या का विवरण तालिका में दर्शित है।

(संरक्षित क्षेत्रों से पुर्नस्थापित ग्राम)

वित्तीय वर्ष पुनर्स्थापित ग्राम संख्या
2018-19 5
2019-20 5
2020-21 5
2021-22 4
2022-23 2
2023-24 7
* 2012 से 2018 तक 83 ग्रामों का पुनर्स्थास्थापन किया गया
  • वन्यप्राणियों की संख्या का आंकलन:-

अखिल भारतीय बाघ आंकलन 2022 के परिणाम 29 जुलाई 2023 को घोषित किये गये जिसके अनुसार मध्यप्रदेश में 785 बाघ आंकलित किये गये हैं और मध्य प्रदेश ने भारत में बाघों की संख्या के अनुसार प्रथम स्थान पर रहते हुए पुनः टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त कर लिया है। मध्य प्रदेश में बाघो की संख्या भारत के कुल आंकलित बाघों की संख्या 3167 की लगभग 25 प्रतिशत पायी गयी है। इसके पूर्व वर्ष 2018 के आंकलन में मध्यप्रदेश में 526 बाघ आंकलित किये गये थे। विगत वर्षों में किये गये प्रबंधकीय प्रयासों का परिणाम है कि न केवल बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है अपितु बाघों की उपस्थिति वाले वन क्षेत्रों की संख्या में भी अप्रत्याशित वृद्धि हुई है।

केन्द्र शासन द्वारा भारत के टाइगर रिजर्व की प्रबंधकीय दक्षता के चतुर्वार्षिक आंकलन अध्ययन (MEE) के परिणामों में भी मध्य प्रदेश के 3 टाइगर रिजर्व क्रमशः पेंच, कान्हा एवं सतपुड़ा प्रथम तीन स्थानों पर आए हैं जिसका विवरण तालिका में दर्शित हैः-

(बाघों की संख्या का आंकलन)

राज्य/वर्ष 2006 2010 2014 2018 2022
मध्यप्रदेश 300 (236-364) 257 (213-301) 308 526 785

वन विभाग द्वारा प्रदेश में प्रथम बार वर्ष 2016 में भारतीय वन प्रबंधन संस्थान, भोपाल के सहयोग से संकटग्रस्त प्रजातियों के गिद्धों की गणना की गई थी जिसके अंतर्गत प्रदेश में 7 प्रजाति के लगभग 7000 गिद्ध पाये गए थे तथा वर्ष 2018-19 में भी प्रदेशव्यापी गिद्ध गणना कराई गई जिसमें लगभग 8300 गिद्ध पाये गये हैं। इसी के तारतम्य में वर्ष 2020-21 में भी प्रदेशव्यापी गिद्ध गणना कराई गयी जिसमें लगभग 9400 गिद्ध पाये गये यह गणना संकटग्रस्त गिद्धों के संरक्षण में भविष्य में नींव का पत्थर साबित होगी।

  • टाइगर रिजर्व का प्रबंध:-

वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 38V(4)(ii) के अन्तर्गत प्रत्येक टाइगर रिजर्व में क्रिटिकल टाइगर हैबीटेट (कोर) एवं बफर क्षेत्र अधिसूचित किया जाना अनिवार्य है। क्रिटिकल टाइगर हैबीटेट पूर्णतः वन्यप्राणियों के उपयोग के लिए सुरक्षित है, जबकि बफर क्षेत्र क्रिटिकल टाइगर हैबीटेट के चारों ओर का वह बहुउपयोगी क्षेत्र है जो क्रिटिकल टाइगर हैबीटेट की संनिष्ठता एवं सुरक्षा के लिये आवश्यक है। टाइगर रिजर्व के प्रबंध हेतु बनाये जाने वाले टाइगर कंज़र्वेशन प्लान में कोर एवं बफर क्षेत्र हेतु प्रबंध निर्देशों को सम्मिलित किया जाता है। इसके अतिरिक्त दो संरक्षित क्षेत्रों को जोड़ने वाले कॉरिडोर क्षेत्र के बारे में भी सांकेतिक प्रावधान सम्मिलित किये जाते हैं। वर्तमान में प्रचलित टाईगर कंजर्वेशन प्लान की स्थिति परिशिष्ट पर उपलब्ध है।

  • माधव राष्ट्रीय उद्यान शिवपुरी में बाघों का पुर्नस्थापन -

भारत सरकार, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिर्वतन मंत्रालय, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, नई दिल्ली द्वारा माधव राष्ट्रीय उद्यान शिवपुरी में 05 बाघों के पुर्नस्थापन की अनुमति प्रदाय की गई है। प्रथम चरण में 01 बाघ एवं 02 बाघिन को मार्च 2023 में पुर्नस्थापित किया गया है। शेष 02 बाघों को द्वितीय चरण में पुर्नस्थापन किया जावेगा।

  • अन्य अभयारण्यों/राष्ट्रीय उद्यानों में वन्यप्राणी प्रबंधन:-

उपरोक्त के अतिरिक्त प्रदेश के समस्त राष्ट्रीय उद्यानों एवं अभयारण्यों में 10 वर्षीय प्रबंधन योजना बनाकर वन्यप्राणी संरक्षण संबंधी कार्य किये जाते हैं। वर्तमान में प्रचलित / निर्माणाधीन वन्यप्राणी प्रबंधन योजना की स्थिति परिशिष्ट पर है।

  • संरक्षित क्षेत्रों के बाहर वन्यप्राणी प्रबंधन:-

संरक्षित क्षेत्रों के बाहर वन्यप्राणी प्रबंधन हेतु राज्य योजना प्रचलित है। इसके अंतर्गत संरक्षित क्षेत्रों के बाहर वन्यप्राणी प्रबंधन हेतु क्षेत्रीय वनमंडलों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाती है। कॉरीडोर क्षेत्रों को सुदृढ करने के लिये भी इस योजना के अंतर्गत कार्य किया जाता है।

  • वन्यप्राणी संरक्षित क्षेत्रों में पर्यटन:-

पर्यटकों की सुविधा के लिये कान्हा, बांधवगढ़, पन्ना, सतपुड़ा, संजय एंव पेंच टाइगर रिज़र्व्स में ऑनलाइन बुकिंग की व्यवस्था है। पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से दिनांक 01.10.2017 से बफर क्षेत्रों में भी ऑन लाइन बुकिंग की सुविधा प्रारंभ की गई है। राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण द्वारा जारी मार्गदर्शिका के उपबंधों के अधीन टाइगर रिज़र्व में पर्यटन हेतु खुला क्षेत्र 20 प्रतिशत की सीमा तक निर्धारित है एवं उक्त के अनुरूप टाइगर रिज़र्व्स के कोर क्षेत्रों में पर्यटन हेतु पर्यटक वाहन धारण क्षमता निर्धारित की गई है जो जिसका विवरण तालिका में दर्शित हैः-

क्रमांक टाइगर रिजर्व का नाम वाहन धारण क्षमता (प्रति दिवस)
1 कान्हा 178
2 बांधवगढ़ 147
3 पेंच 99
4 पन्ना 85
5 सतपुड़ा 180
6 संजय 80

उक्त टाइगर रिजर्व एवं अन्य समस्त संरक्षित क्षेत्रों में विगत वर्षों में आये पर्यटकों की संख्या तथा उनसे आय निम्न तालिका में दर्शित है।

(संरक्षित क्षेत्रों में पर्यटकों की संख्या)

वर्ष

  पर्यटकों की संख्या (लाख में)

अर्जित आय (रूपये में)
2013-14 10.9 2068.29
2014-15 10.27 2194.02​
2015-16 10.23 2608.25
2016-17 10.67 2138.85
2017-18 19.64 2774.41
2018-19 20.25 3107.51
2019-20 15.86 2034.94
2020-21 13.96 2197.71
2021-22 23.90 4846.19
2022-23 26.49 5565.33
2023-24 19.91 4206.47

पर्यटन वर्ष 2017-18 से नवीन मुकुन्दपुर ज़ू, पचमढ़ी व केन घड़ियाल अभयारण्य के पर्यटन आंकड़े भी सम्मिलित किये गये हैं।

  • मध्य प्रदेश टाइगर फाउंडेशन सोसाइटी:-

मध्य प्रदेश शासन ने वर्ष 1997 में नवाचार करते हुये मध्य प्रदेश टाइगर फाउंडेशन सोसाइटी की स्थापना मध्य प्रदेश सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम के अंतर्गत की थी। यह गैर शासकीय संगठन जन सहयोग एवं अन्य संस्थानों के साथ मिलकर प्रदेश में वन्यप्राणी संरक्षण का कार्य करता है। मध्यप्रदेश टाइगर फांउडेशन सोसायटी की महत्वपूर्ण उपलब्धि निम्नानुसार है:

  • राष्ट्रीय वन शहीद दिवस का आयोजन :-

वन राज्यमंत्री श्री अहिरवार एवं समस्त वन अधिकारियों / कर्मचारियों द्वारा शहीद वनकर्मियों को श्रद्धांजलि दी गई एवं मध्यप्रदेश टाइगर फाउंडेशन सोसायटी के क्लोज टू मॉय हार्ट अभियान के अंतर्गत मिलने वाली राशि से इस वर्ष शहीद हुये वनकर्मी स्व. श्री राजेंद्र सिंह कुसरे, कार्यवाहक वनपाल, वनमंडल डिण्डौरी एवं स्व. श्री कमल सिंह मरकाम, टीपीएफ, टीपीएफ श्रमिक कान्हा टाईगर रिजर्व के परिजनों को राशि रूपये 1.00 लाख प्रति परिवार आर्थिक सहायता दी गई ।

  • चीता पुनर्वास- कूनो राष्ट्रीय उद्यान, मध्यप्रदेश :-

वन, वन्यप्राणी एवं पर्यावरण से समृद्ध मध्य प्रदेश में 70 वर्ष पूर्व भारत से विलुप्त हो चुके चीता को प्रोजेक्ट चीता अंतर्गत भारत में वापिस लाने का एक साहसिक प्रयास किया गया। चीता प्रोजेक्ट अंतर्गत प्रथम चरण में अफ्रीका महाव्दींप के नामीबिया से 8 अफ्रीकी चीतों को दिनांक 17 सितंबर 2022 को माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान, श्योपुर में क्वारेंटाइन बाड़ों में छोड़ा गया। कूनो राष्ट्रीय उद्यान, नामीबिया के चीता विशेषज्ञ तथा भारतीय वन्यजीव संस्था वन की शोध टीम द्वारा बाड़ों में चीतों की लगातार सूक्ष्मता से देखरेख की गई। चीतों के स्वास्थ्य की देखरेख हेतु 3 वन्यप्राणी चिकित्सकों को भी तैनात किया गया है जो चीतों के भोजन की गुणवत्ता, मात्रा तथा स्वास्थ्य की देखरेख कर रहे हैं।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा कूनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़े गये चीतों की मॉनिटरिंग हेतु एक चीता टास्क फोर्स का गठन किया गया है। चीता टास्क फोर्स द्वारा चीतों के सामान्य व्यवहार एवं स्वास्थ्य की मॉनिटरिंग, शिकार करने की क्षमता तथा कूनो राष्ट्रीय उद्यान के रहवास में ढलने, चीतों को क्वारेंटाइन बाड़ों से बड़े बाड़ों में तथा बड़े बाड़ों से वन क्षेत्र में स्वतंत्र विचरण हेतु मुक्त करने तथा कूनो राष्ट्रीय उद्यान एवं उसके आसपास पर्यटन की संभावनाओं के दृष्टिगत पर्यटन की योजना तैयार की जा रही है। चीतों में लगाये गये रेडियो कॉलर, हाई मास्क कैमरा, कैमरा ट्रैप्स, ड्रोन तथा प्रशिक्षित मॉनिटरिंग चीतों की मॉनिटरिंग दलों द्वारा की जा रही है।

द्वितीय चरण में दक्षिण अफ्रीका से दिनांक 18.02.2023 को 12 अन्य चीते कूनो राष्ट्रीय उद्यान में लाकर बसाये गये है। इस प्रकार कुल 20 चीते लाये गये है एवं 04 बच्चों का जन्म हुआ है। देश में चीतों के दीर्घकालिक संरक्षण सुनिश्चित करने की दृष्टि से आगामी कुछ वर्षों तक नियमित रूप से निश्चित संख्या में चीते दक्षिण अफ्रीकी देशों से भारत लाये जाएंगे। भारत में चीतों के पुनर्वास हेतु तैयार किये गये एक्शन प्लान के अनुसार प्रदेश में कूनो राष्ट्रीय उद्यान के अतिरिक्त गांधीसागर अभयारण्य तथा नौरादेही अभयारण्य को भी चीता संरक्षण हेतु उपयुक्त पाया गया है। गांधीसागर अभयारण्य में तैयारी की जा रही है वर्तमान में कुल 9 चीतों 6 वयस्क एवं 3 शवकों की मृत्यु हुई है। शेष 12 वयस्क एवं 12 शावक चीता कुल 24 चीते कूनों राष्ट्रीय उद्यान के बाडे में उपलब्ध है। चीता स्टेयरिंग कमेटी द्वारा निर्णय लेने के उपरांत बाडे से छोड़ने की कार्यवाही की जावेगी।

अंतराष्ट्रीय बाघ दिवस 2024 के अवसर पर:-

  1. 29 जुलाई 2024 के अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस का आयोजन में किया गया।
  2. आमजन को बाघ संरक्षण के प्रति जागरूक करने हेतु टाइगर-डे Quiz का आयोजन किया गया।
  3. बाघ संरक्षण की दिशा में उत्कृष्ट कार्य कर रहे वनकर्मियों को टाइगर कन्जर्वेशन पुरूस्कार से सम्मानित किया गया।