वन विभाग के आधारभूत कर्मचारी वर्ग के प्रशिक्षण के लिये वर्ष 1965 में वनरक्षक प्रशिक्षण शाला के लिये वन मण्डल उत्तर सिवनी के अंतर्गत लखनादौन में स्थापना का निर्णय लिया गया। विद्यालय की स्थापना के क्रम में तत्कालीन माननीय वनमंत्री श्री बसंत राव उईके के कर कमलों से दिनांक 26 जनवरी, 1966 को विद्यालय की आधारशिला रखी गई। इसके निर्माण कार्य में लगभग 6 वर्ष का समय लगा। नियमित रूप से विद्यालय का संचालन नवम्बर, 1973 में "वनरक्षक प्रशिक्षण शाला" के रूप में आरंभ हुआ। वर्ष 2001 तक इस संस्थान का नाम वन विद्यालय लखनादौन रहा, जहां वनरक्षकों को नियमित प्रशिक्षण दिया जाता रहा। वर्ष 2002 में इस प्रशिक्षण संस्थान को उच्चिकृत करते हुऐ संयुक्त वन प्रबंधन के उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए नये प्रशिक्षण कार्यक्रमों को लागू किया गया। इस संस्था को उपरोक्त उद्देश्यों की पूर्ति के लिये स्वतंत्र रूप से संचालक के अधीन करते हुऐ इसका नामकरण "राजीव गांधी सहभागी वानिकी प्रशिक्षण संस्थान" रखा गया। उप वन संरक्षक स्तर के अधिकारी को स्वतंत्र रूप से संचालक के पद पर पदस्थ करते हुये आहरण एवं वितरण के अधिकार प्रदान किये गये थे। वर्ष 2006 में विद्यालय के स्वतंत्र संचालक का पद समाप्त करते हुऐ वनमण्डल अधिकारी उत्तर सिवनी उत्पादन को संचालक का प्रभार दिया गया। तत्पश्चात म.प्र. शासन वन विभाग का आदेश क्र./एफ./25-64/2010/10-3, दिनांक 22.01.2011 से पूर्व के आदेश को अधिक्रमित करते हुए संस्थान में पुन: वन मण्डल अधिकारी उत्तर सिवनी सामान्य को संचालक राजीव गांधी सहभागी वानिकी प्रशिक्षण संस्थान लखनादौन जिला सिवनी बनाया गया एवं आहरण एवं संवितरण अधिकारी नियुक्त किया गया है। माह मार्च, 2016 तक कुल 83 वनरक्षक प्रशिक्षण सत्रों का आयोजन किया जा चुका है, जिसमें 3654 वनरक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया है। इसके अतिरिक्त पदोन्नत वनपाल का 45 दिवसीय प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया जाता है, जिसके वर्ष में 6 आयोजन होते हैं। इस क्रम में 442 वनपालों को प्रशिक्षित किया गया है। |