About Destination :
Devgarh Ecotourism Site is located 45 kilometers from Chhindwara on the Chhindwara-Nagpur Road. Devgarh was the capital of the Gond kings and is believed to have been built by Gond King Jatva. This area falls under the Govindvadi beat of the Lavaghoghari forest range, predominantly featuring teak and mixed forests. At the entrance of the Devgarh Fort, there is a welcoming archway.During the monsoon season, the forest area of the Devgarh tourist site is beautifully picturesque, filled with vibrant greenery and natural beauty. Within the Devgarh Fort area, visitors can explore the Chandi Mata temple, ancient stepwells, wells, ponds, and other attractions. In this area, there are temples dedicated to Bhavani Mata and Lord Shiva, which attract devotees who come to pray and fulfill their vows.The forest area houses ancient stepwells from the year 1764 and old temples known as Jatva temples, where the tribal community offers their worship. The Chor Bavadi (Thief's Stepwell) is situated, which is a significant point of interest for visitors.
ईकोपर्यटन स्थल देवगढ़ छिन्दवाड़ा-नागपुर रोड पर छिन्दवाड़ा से 45 कि. मी. की दूरी पर स्थित है। देवगढ़ गोंड राजाओं की राजधानी थी। यह माना जाता है कि देवगढ़ के किले का निर्माण गोंड राजा जाटवा ने किया था। यह वन परिक्षेत्र लावाघोघरी की गोविंदवाडी बीट के अंतर्गत आता है जहॉं मुख्यतः सागौन एवं मिश्रित वन क्षेत्र है। देवगढ़ किले के प्रारंभ स्थान पर स्वागत द्वारा बना हुआ है। देवगढ़ पर्यटन स्थल का वन क्षेत्र वर्षाकाल में अति रमणीय, रोमांचित, प्राकृतिक सौन्दर्य एवं हरा भरा दिखाई देता है। देवगढ़ किले क्षेत्र में चंडी माता का मंदिर, बावड़ियॉं, कुऐं, तालाब एवं अन्य दर्शनीय स्थल है। राजस्व क्षेत्र में भवानी माता का मंदिर, शिव मंदिर स्थित है। मंदिर के पास हमेशा दर्शनार्थी आते है एवं अपनी मन्नत अनुसार पूजा-पाठ करते हैं। वनक्षेत्र में सन 1764 की प्राचीन बावड़ियाँ विद्यमान है एवं प्राचीन मंदिर भी है, जिसे जाटवा मंदिर के नाम से जानते है। यहां आदिवासी समुदाय पूजा करते है एवं मंदिर के पास ही चोर बावड़ी स्थित है जो कि बहुत ही दर्शनीय स्थल है।