संरक्षित क्षेत्र का नाम : |
सिंघौरी अभ्यारण्य बाडी |
जिले का नाम : |
रायसेन |
वनमंडल का नाम : |
औबेदुल्लागंज |
जी.पी.एस. : |
अक्षांश : 22 डिग्री 45 मिनिट 28.45 सेकिंड |
देशांतर : 77 डिग्री 15 मिनिट 79.0 सेकिंड |
क्षेत्रफल : |
287.91 वर्ग कि.मी. |
जैव विविधता संरक्षण का इतिहास : |
वन्य प्राणी समस्त जीव जगत का एक भाग हैं। विश्व के प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की समस्याओं का अध्ययन करने के लिये, अभयारण्य क्षेत्र की जैव विविधता को समझना अति आवश्यक है। जैविक दबाव और गैर वानिकी उपयोग के लिए, वन भूमि को बलात् कब्जे में करने की वजह से; वानस्पतिक विविधता प्रभावित हुई है। जिससे वन्यप्राणी विविधता भी प्रभावित हुई है। अवैध कटाई से वन्य प्राणियों की आश्रय स्थली का घनत्व, घटने के साथ कई स्थानों पर वन्यप्राणियों की आश्रय स्थली समाप्त हो गई हैं। बांध, नहर, तालाब जैसे निर्माण कार्यों की वजह से जल उपलब्धता प्रभावित होती है। इससे वन्य प्राणियों के विकास की परिस्थितियां बदल जाती हैं, परिणामस्वरूप कुछ प्रजातियां जहांएक और अपना स्थान छोड़नेको मजबूर हो जाती हैं; वहीं दूसरी और कुछ नई प्रजातियों की उपस्थिति भी देखने को मिलती है। इसी प्रकार निर्माण कार्यों से वन्यप्राणी कारीडोर लगभग समाप्त हो गये हैं। बारना डेम निर्माण से रातापानी – सिंघौरी कारीडोर पूर्णत: समाप्त हो गया है।
अभयारण्य में मुख्य मांसाहारी वन्यप्राणी में तेन्दुआ, जंगली बिल्ली हैं, इसके अतिरिक्त भालू तथा शाकाहारी वन्यप्राणियों में सांभर, चीतल, चिंकारा, भेड़की, नीलगाय तथा कृष्ण मृग पाये जाते हैं। बारना जलाशय क्षेत्र में मगर पाये जाते हैं। चिडि़या प्रजाति में शेडयुल – 1 के गिद्ध (White Bocked Vulture) प्रजाति भी खड़ी पहाडि़यों पर पाई जाती हैं। प्रवासी पक्षी भी बारना जलाशय क्षेत्र को एक अच्छा वेटलेण्ड सिद्ध करते हैं।
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लेंडस्केप का विवरण : |
सिंघौरी अभरण्य म0प्र0 के वनक्षेत्रों में नर्मदा से उत्तर की ओर विंध्य श्रृंखला की पहाडि़यों पर फैला हुआ है। इन पहाडि़यों की उंचाई 550 मी0 से 600 मी; हैं, सबसे उंची चोटी पोण्डी सिंघोरी 654 मी0 पर हैं। अभयारण्य क्षेत्र में बारना जलाशय का लगभग 1420 हे0 क्षेत्र आता है। |
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वन का प्रकार : |
चैम्पियन और सेठ के अनुसार इस क्षेत्र के वन ट्रापिकल ड्राई डेसीडॅयूअस के अंतर्गत निम्नानुसर श्रेणियों में आते है :-
- 5A/CIV- सर्दन ट्रापिकल ड्राई डेसीड्यूअस ड्राई टीक फारेस्ट
- 5A/CIII- सर्दन ट्रापिकल ड्राई डेसीड्यूअस मिक्सड फारेस्ट
- 5A/DSI- सर्दन ट्रापिकल ड्राई डेसीड्यूअस स्क्रब (Degradation Stage)
- 5/DS4- सर्दन ट्रापिकल ड्राई डेसीड्यूअस फारेस्ट - ड्राई ग्रासलेंड (Degradation Stage)
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वनस्पति एवं वन्यप्राणी : |
अभ्यारण्य में पाई जाने वाली वनस्पतियों को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा गया है। सागौन प्रजाति बहुलता के वन तथा मिश्रित प्रजाति बहुलता के वन। अभयारण्य क्षेत्र में सागौन के अतिरिक्त अन्य 99 वृक्ष प्रजातियां, 24 बांस/घांस प्रजातियां और 4 परजीवी प्रजातियां मुख्य रूप से पाई जाती है। मिश्रित प्रजातियों में मुख्यत: भिर्रा, साजा, बीजा, तेन्दू, धावड़ा, लेंडिया, मोयन, खैर, बेल, आचार, आंवला, कुसुम, कारी, पलास, महुआ, दुधी, घटोर, अमलतास, सेमल और बहेड़ा पाया जाता है। कहीं – कहीं कालासिरस, फांसी, गधैला, तिनसा, कुल्लू, सलाई, कठवार, केन, बेर, कचनार, रेंवझा, रोहन, पापड़ा, आधासीसी और लसोड़ा पाये जाते हैं। अभयारण्य में मुख्य मांसाहारी वन्यप्राणी में तेंदुआ, जंगली कुत्ते, सियार, सिवेट केट, हायना, लोमड़ी तथा जंगली बिल्ली हैं, इसके अतिरिक्त भालू तथा शाकाहारी वन्यप्राणियों में, सांभर, चीतल, चिंकारा, भेड़की, नीलगाय तथा कृष्ण मृग पाये जाते हैं। बारना जलाशय क्षेत्र में मगर पाये जाते हैं। चिडि़या प्रजाति में शेडयुल – 1 के गिद्ध (White Bocked Vulture) तथा इंजिप्सियन गिद्ध प्रजाति भी खड़ी पहाडि़यों पर पाई जाती हैं। प्रवासी पक्षी भी बारना जलाशय क्षेत्र को एक अच्छा वेटलेण्ड सिद्ध करते हैं। अभयारण्य क्षेत्र में मेमल्स की 29 प्रजातियां, पक्षियों की लगभग 112 प्रजातियां, मछलियों की 15 प्रजातियां तथा सरीसपृ की लगभग 8 प्रजातियां पाई जाती हैं। |
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रहवास का विवरण : |
अभ्यारण्य के पूर्ण क्षेत्र में मात्र 25 से 50 प्रतिशत आवास ही वन्यप्राणियों के योग्य बचा हुआ हैं। वनो का घनत्व मात्र 5 प्रतिशत क्षेत्र में ही 0.6 हेक्टयर, बांकी 50 प्रतिशत क्षेत्र में 0.4 घनत्व का वन है। लगभग 20 से 25 प्रतिशत क्षेत्र या तो आवाद है या अतिक्रमण अथवा जल में डूबा हुआ क्षेत्र है। शेष 25 से 30 प्रतिशत प्रतिशत क्षेत्र में, पहाडि़यों पर एवं राजस्व क्षेत्र में लगे हुऐ वनों में वृक्षों की स्टन्टेड ग्रोथ हैं। पहाड़ी क्षेत्र में पानी की कमी के कारण तथा राजस्व क्षेत्र से लगे हुए वनों में अवैध कटाई के कारण, अच्छे घनत्व के वन नही हैं। हर वर्ष लगने वाली अग्नि भी आवास को नष्ट कर रही है। नीलगाय तथा कृष्णमृग की संख्या विगत वर्षों में बढ़ी है। जो कि आवास के गिरते स्तर का परिचायक है। वन्यप्राणी भीषण जैविक दवावसे ग्रस्त हैं। बारना डेम का जल पक्षियों एवं जलीय वन्यप्राणी के लिये वरदान हैं। बड़ी पहाडि़यों की खड़ी चट्टाने भी गिद्ध एवं वर्ड आफप्रे प्रजाति के लिये बहुत ही अच्छा आवास हैं। |
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पर्यटन जानकारी : |
- पर्यटन प्रवेश द्वार का विवरण :
- अभ्यारण्य गेट रमगढ़ा
- अभ्यारण्य गेट सांभर टोरिया
- अभ्यारण्य गेट पपलई
- अभ्यारण्य गेट पड़रिया
- अभ्यारण्य गेट सीतापार
- अभ्यारण्य गेट सेनकुंआ
- अभ्यारण्य गेट जेतगढ़
- अभ्यारण्य गेट भगदेई
- पर्यटन जोन : पर्यटन जोन निर्धारित नही है।
- पर्यटन धारण क्षमता : पर्यटक अत्यंत कम होने के कारण धारण क्षमता का आंकलन नही किया गया।
- ठहरने की व्यवस्था :
ठहरने की व्यवस्था |
कमरों की संख्या |
बिस्तरों की संख्या |
वन विश्राम गृह बाडी |
02 |
डबलबेड - 02 |
वन विश्राम गृह बम्होरी |
02 |
डबलबेड - 02 |
निरीक्षण कुटीर करतोली |
02 |
डबलबेड - 02 |
- रेल मार्ग : मुख्यालय से भोपाल 101 कि0मी0
- सड़क मार्ग : मुख्यालय से लगा हुआ
- वायु मार्ग : मुख्यालय से भोपाल 120 कि0मी0
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वेबसाइट संबंधी विवरण : |
नहींं है। |
क्षेत्र की विशिष्टता : |
अभ्यारण्य के सभी ओर सड़क मार्ग हैं, परन्तु किसी भी क्षेत्र से सीधे तौर पर राजमार्ग से जुड़ा हुआ नहीं हैं। बम्होरी परिक्षेत्र में देहगांव, बम्होरी पी.डब्ल्यू.डी. मार्ग एक मात्र मार्ग है, जो कि अभयारण्य क्षेत्र के अन्दर से होकर जाता हैं। विगत प्रबन्ध योजना प्रारम्भ (वर्ष 2000) होने के पूर्व बाघ की उपस्थिति अभयारण्य में थी वर्तमान में अभयारण्य बाघ विहीन हो चुका हैं। अभयारण्य में मुख्य मांसाहारी वन्यप्राणी में तेन्दुआ, जंगली कुत्ते, सियार, सिवेट केट, हायना, लोमड़ी तथा जंगली बिल्ली हैं, इसके अतिरिक्त भालू तथा शाकाहारी वन्यप्राणियों में सांभर, चीतल, चिंकारा, भेड़की, नीलगाय तथा कृष्ण मृग पाये जाते है। बारना जलाशय क्षेत्र में मगर पाये जाते हैं। चिडि़या प्रजाति में गिद्ध (White Bocked Vulture) तथा इंजिप्सिन गिद्ध प्रजाति भी इन्ही पहाडि़यों पर पाई जाती हैं। प्रवासी पक्षी भी बारना जलाशय क्षेत्र को एक अच्छा वेटलेण्ड सिद्ध करते हैं। प्रागेतिहासिक महत्व के क्षेत्र हिंगलाज देवी मंदिर, मृगन्नाथ गुफाएं, पुरातन संस्कृत विद्यालय जामगढ़, जामवंतकी गुफा एवं मंदिर, गणेश मंदिर पपलई, छीन्द के हनुमान जी का मंदिर, चौकीगढ़ का किला, आदि इस क्षेत्र के प्रमुख दर्शनीय तथा पुरातन महत्व के स्थान इस क्षेत्र में स्थित हैं। |
सम्पर्क सूत्र : |
वन परिक्षेत्र अधिकारी बाडी, मो. 9424790723 अधीक्षक सिंघौरी अभ्यारण्य बाडी मो. 9424790714
पोस्ट बाडी तह. बाडी जिला रायसेन पिन-464665
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