उत्पादन शाखा

परिचय:

म.प्र. शासन वन विभाग के आदेश क्रमांक / 9886/10/1/78 दिनांक 28.09.78 से मुख्य वन संरक्षक (उत्पादन) के कार्यालय का गठन वनोपज के राजकीय व्यापार को नियंत्रित करने के उद्देश्य से किया गया था। वर्तमान में यह कार्यालय प्रधान मुख्य वन संरक्षक मध्य प्रदेश के अधीनस्थ अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (उत्पादन) इमारती काष्ठ, जलाऊ और बांस के उत्पादन तथा निर्वर्तन का कार्य 11 उत्पादन वन मंडलों (आई.एस.ओ. प्रमाणित) एवं लगभग 32 क्षेत्रीय वन मंडलों (उत्पादन का अतिरिक्त कार्य) द्वारा संचालित करता है। निस्तार हेतु वनोपज की व्यवस्था उत्पादन द्वारा संपादित की जाती है। भूमिस्वामी लोकवानिकी कृषकों के भुगतान की व्यवस्था सुनिश्चित की जाती है। वनोपज को लाभकारी एवं सामयिक निर्वर्तन कर राज्य शासन द्वारा निर्धारित लक्ष्य प्राप्त करना उत्पादन शाखा का मुख्य उद्देश्य है ।

जन सामान्य के सामाजिक-आर्थिक विकास में वनों से प्राप्त उपज की महत्वपूर्ण भूमिका है। वनों तथा वनों के आसपास निवास करने वाले ग्रामवासियों की नित्यप्रति की आवश्यकताओं की पूर्ति के अतिरिक्त वनोपज की बिक्री से राज्य के राजस्व कोष में भी वृद्धि होती है। इन वन उत्पादों में इमारती लकड़ी, जलाऊ लकड़ी, बांस तथा अन्य अकाष्ठ वनोपज (तेंदूपत्ता, हर्रा, सालबीज इत्यादि). प्राप्त होती है। इनके अतिरिक्त प्रदेश में सागौन, साल, बीजा, खैर, तिन्सा, सलई, साजा, हल्दू व लेंडिया इत्यादि महत्वपूर्ण वृक्ष प्रजातियां हैं, जिनका विदोहन किया जाता है। वनोपजों का विदोहन विभागीय तौर पर वार्षिक कूपों में कार्य आयोजना के प्रावधान के अनुसार किया जाता है। कार्य आयोजनाओं में प्रत्येक क्षेत्र विशेष के लिए संवहनीय विदोहन के आधार पर विशेष उपचारण का प्रावधान सम्मिलित रहता है, जिसके अनुसार ही उपचारण एवं वनोपज का विदोहन किया जाता है।

विगत वर्षों की जानकारी प्राप्त करें ।

महत्वपूर्ण उपलब्धियां:

विदोहन :

वृक्षों का विदोहन वानिकी के वैज्ञानिक सिद्धांतों के आधार पर किया जाता है तथा कूपों में कटाई योग्य वृक्षों का उनके पातन के पूर्व कार्य आयोजना में अंकित उपचारण के प्रावधानों के अनुसार चिन्हांकन किया जाता है। इस कार्य में कार्य आयोजनाओं में वर्णित चिह्नांकन नियमों का पालन करते हुए वृक्षों का चयन कर उन्हें अंकित करते हुए उनकी प्रजाति-वार तथा गोलाई वर्ग–वार गिनती की जाती है। यह कार्य क्षेत्रीय वनमंडल द्वारा संपन्न किया जाकर विदोहन हेतु चिह्नांकित वार्षिक कूपों को उत्पादन वनमंडल को हस्तांतरित किया जाता है। उपरोक्त कार्य पर निगरानी रखने के लिये वन रक्षक/वनपाल स्तर के कर्मचारी को कूप प्रभारी का कार्य दिया जाता है। कूपों में वृक्षों का पातन विशेष सावधानियों को ध्यान में रखते हुए किया जाता है। पातन कार्य माह अक्टूबर में प्रारम्भ कर दिया जाता है। उत्पादन अमला चिन्हांकित वृक्षों का पातन करता है एवं व्यावसायिक मांग के अनुसार वृक्ष का लगुण (लॉगिंग) की जाती है। लगुण उपरांत ईमारती काष्ठ के पतले सिरे पर लट्टे की लम्बाई एवं छाल उतारकर मध्य गोलाई का नाप लेकर अंकित किया जाकर थप्पियों में सम्मिलित किया जाता है। इसे रजिस्टर में अंकित कर लकड़ी की थप्पी बनाई जाती है लम्बाई एवं गोलाई के अनुसार काष्ठ को लट्टे, बल्ली एवं डेंगरी में वर्गीकृत किया जाता है। शेष काष्ठ जलाऊ में वर्गीकृत कर इसका चट्टा बनाया जाता है। यह सुनिश्चित किया जाता है कि ईमारती काष्ठ जलाऊ चट्टों में नहीं रखी जाए। कूप प्रभारी यह भी सुनिश्चित करते हैं कि ठूंठ पर प्राप्त ईमारती काष्ठ का विवरण तथा पातन क्रमांक अंकित हो एवं कूप का विशिष्ट चिन्ह जिसे हैमर भी कहा जाता है, अंकित हो ताकि वृक्ष वैध रूप से काटा गया है यह सुनिश्चित किया जा सके। ठूंठ की ड्रेसिंग का कार्य मजदूरों द्वारा किया जाता है ताकि उससे पीके प्राप्त हो एवं एक नया वृक्ष बन सके। मजदूरों को वन वृत्त स्तर पर निर्धारित जॉब दर से भुगतान किया जाता है। विदोहन प्रारंभ करने के पूर्व वनों में अस्थाई मार्ग बनाये जाते हैं ताकि ट्रक काष्ठ थप्पियों तक पहुंच सके। काष्ठ को ट्रक में लादकर इसका विवरण रजिस्टरों में अंकित किया जाता है एवं कार्टिंग चालान के माध्यम से डिपो में परिवहन किया जाता है।

चिन्हित किये गये वृक्ष की आरे से कटाई कटे हुए वृक्ष का निरीक्षण
कटे हुए वृक्ष की लॉगिंग के लिये चिन्ह देना ठूंठ की ड्रेसिंग

बांस का अधिकांश उत्पादन बालाघाट जिले में सीमित हो गया है। शेष जिलों में बांस के वृक्षारोपण से बांस का उत्पादन प्राप्त हो रहा है। बांस के कूप उत्पादन अमले को स्थानांतरित होने के उपरांत बांस विदोहन के निर्देशों के तहत करला (प्रथम वर्ष का बांस) महिला (द्वितीय वर्ष का बांस) एवं पकिया (दो वर्ष से अधिक का पका हुआ बांस) को बांस कटाई नियमों के आधार पर पके हुए बांस की उपलब्धता के अनुसार काटा जाता है इसके अतिरिक्त सूखे एवं क्षतिग्रस्त बांस भी काटकर निकाले जाते हैं। 4-60 मीटर से लम्बा बांस व्यापारिक बांस कहलाता है एवं दो तथा एक मीटर के बांस के टुकडे औद्योगिक बांस के रूप में वर्गीकृत किये जाते हैं। प्राप्त बांसों को वर्ग एवं लम्बाई के अनुसार 20 बांस के बंडल में सबई रस्सी से बांधा जाता है एवं थप्पी के रूप में सड़क के किनारे जमाया जाता है। इन बांसों को कार्टिंग चालान के माध्यम से बांसागार भेजा जाता है, जहां निस्तार के माध्यम से अथवा नीलाम द्वारा इसे बेचा जाता है।

कूप से प्राप्त काष्ठ को डिपो में उतारने की प्रक्रिया ईमारती काष्ठ को थप्पी में वर्गीकृत किया जाना
  सागौन ईमारती काष्ठ थप्पी एवं लॉट विक्रय उपरांत काष्ठ का प्रदाय
विगत 3 वर्षों का काष्ठ उत्पादन
वर्ष (वानिकी वर्ष 1 अक्टूबर से 30 सितंबर तक) क्षेत्रफल लाख हे. कूपों की संख्या वृक्षों की संख्या वास्तविक उत्पादन
इमारती काष्ठ (लाख घ.मी.) जलाऊ चट्टे (लाख)
2019-2020 1.38 1644 905800 2.09 1.27
2020-2021 2.12 1614 653535 1.74 1.01
2021-2022 1.20 1389 568321 1.78 1.10
विगत 3 वर्षों का बांस उत्पादन
वर्ष (वानिकी वर्ष 1 अक्टूबर से 30 सितंबर तक) क्षेत्रफल हे. कूपों की संख्या वास्तविक उत्पादन
औद्योगिक बांस (लाख वि.ई.) व्यापारिक बांस (लाख वि.ई.)
2019-2020 64288 182 0.15 0.12
2020-2021 69464 185 0.20 0.16
2021-2022 59185 192 0.18 0.17

वनोपज का विक्रय :

इमारती लकड़ी, बल्ली, जलाऊ लकडी, बांस आदि का निर्वतन स्थापित विभागीय डिपो में घोष विक्रय द्वारा किया जाता है। ग्रामवासियों के उपयोग हेतु बांस व बल्लियों का विक्रय निस्तार डिपो से किया जाता है। डिपो में काष्ठ की नग संख्या एवं लम्बाई गोलाई का पुनरू मापन किया जाता है एवं इसे काष्ठ के मोटे सिरे पर अंकित किया जाता है। काष्ठ को प्रजाति, लम्बाई, गोलाई एवं श्रेणी के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है एवं थप्पी में रखा जाता है। प्रयास किया जाता है कि एक प्रजाति की लम्बाई, गोलाई एवं श्रेणी की थप्पियों का लॉट बनाया जाए एवं इसे एक साथ प्रदर्शित किया जाए। इस लॉट की अपसेट प्राइस बनाई जाती है एवं इसे पूर्व निर्धारित तिथि पर नीलाम किया जाता है। नीलाम घोष विक्रय की प्रक्रिया है जिसमें विभिन्न स्थानों से इच्छुक क्रेता भाग लेने के लिये आते हैं। अधिकतम बोली देने वाले पंजीकृत क्रेता को लॉट बेचा जाता है। लॉट की पूर्ण राशि जमा करने पर क्रेता को लॉट का परिदान दिया जाता है। डिपो में वनोपज प्राप्त होने के उपरांत उनकी श्रेणीवार तथा लम्बाई/गोलाई वर्ग के आधार पर पृथक-पृथक थप्पियां बनाई जाकर उनके अवरोध मूल्य का निर्धारण किया जाता है। घोष विक्रय हेतु नीलाम की तिथियां निर्धारित करते समय आसपास के क्षेत्रों में नीलाम की तिथियों का भी ध्यान रखा जाता है तथा घोष विक्रय की सूचना आंचलिक समाचार-पत्रों में प्रकाशित की जाती है।
राज्य में 42 काष्ठागार तथा 22 बांसागार हैं। इन काष्ठागारों में नीलाम की तिथियों की जानकारी इस वेबसाईट पर भी उपलब्ध कराई जाती है।

भिर्रों का विदोहन एवं निर्वर्तन बांस का भिरा
व्यावसायिक बांस के बंडल औद्योगिक बांस के बंडल
विगत 3 वर्षों का राजस्व प्राप्ति
वित्तीय वर्ष  राजस्व लक्ष्य (रू. करोड में)  राजस्व प्राप्तियां (रू. करोड में)  कुल राजस्व प्राप्ति (रू. करोड में)  
इमारती काष्ठ / बांस निर्वर्तन से अन्य से प्राप्त राजस्व
2019-2020 1500.00 791.28 245.55 1036.83
2020-2021 1398.93 866.81 427.87 1294.68
2021-2022 1425.26 831.88 612.24 1444.12

निस्तार की व्यवस्था :

प्रदेश की ग्रामवासी जनता की वनोपज की आवश्यकता की पूर्ति के लिये राज्य शासन की निस्तार नीति के अंतर्गत वन सीमा से 5 कि.मी. की परिधि में आने वाले ग्रामों के लिये रियायती दरों पर वनोपज (जलाऊ लकड़ी, बांस एवं निस्तारी इमारती लकड़ी) के प्रदाय की व्यवस्था लागू है। इसके साथ-साथ स्वयं के उपयोग के लिये अथवा बिक्री के लिये सिरबोझ द्वारा गिरी पड़ी एवं सूखी जलाऊ लकड़ी ले जाने की सुविधा दी जाती है। इस व्यवस्था के अंतर्गत संयुक्त वन प्रबंधन योजनांतर्गत गठित समितियों के सदस्यों को वनोपज का प्रदाय रायल्टी से मुक्त रखा गया है। निस्तारी वनोपज का प्रदाय प्रति वर्ष 1 जनवरी से 30 जून तक किया जाता है। ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रा में बसोड़ परिवारों को बांस का प्रदाय रॉयल्टी से मुक्त रखा गया है।

नई निस्तार नीति के अनुसार निस्तार व्यवस्था

राष्ट्रीय वन नीति 1988 में यह निहित है कि वन व वनों से मिलने वाली सुविधाओं पर पहला अधिकार वन व वनों के आसपास रहने वाले समुदाय का होना चाहिए । दिनांक 1.7.1996 को नई निस्तार नीति लागू। पात्रता केवल वन सीमा से 5 मि.मी. की परिधि के ग्रामवासियों को निस्तार प्रदाय 1 जनवरी से 30 जून प्रतिवर्ष राज्य के कुल 24058 बसोड़ पंजीकृत है। इसमें से 70 प्रतिशत से अधिक वन सीमा से 5 कि.मी. से बाहर स्थित है। मध्यप्रदेश राज्य शासन के पत्रा क्रमांक/7/18/84/10/3 दिनांक 4.4.1985 द्वारा यह लेख किया गया है कि यदि कोई बसोड़ शासकीय सेवा या अन्य कोई व्यवसाय करता है तो उसे/उसके परिवार को उपरोक्त सुविधा के अंतर्गत बांस का प्रदाय नहीं किया जाएगा। शासन द्वारा उपलब्धता के आधार पर बसोड़ जाति के व्यक्तियों को एक परिवार के हिसाब से 1500 बांस प्रतिवर्ष उपलब्ध कराते है। बांस का सामान बनाकर जीविकोपार्जन करने वाले बैगा आदिवासियों को बसोड़ समुदाय की तरह रियायती दर पर बांस उपलब्ध उपलब्ध कराया जाता है।

विगत 3 वर्षों का निस्तार प्रदाय
वर्ष (जनवरी से दिसंबर) बांस (लाख नग में)  बल्ली (लाख नग में)  जलाऊ चट्टे (लाख चट्टे में)    ग्रामीणों / बसोडों को दी गई रियायत (रू. लाख में)
2020 19.61 0.16 0.51 912.43
2021 19.52 0.09 0.44 902.12
2022 17.07 0.07 0.50 625.21

भूमिस्वामियों के लिए योजनाएं :

राज्य में स्वयं की कृषि भूमि पर मिश्रित प्रजाति के वृक्ष लगाने की अनुमति तथा उस भूमि पर खड़े सभी प्रकार के वृक्षों को काटने की छूट दिए जाने की योजना के अंतर्गत एक नई व्यवस्था दी गयी है। इसके अंतर्गत भूमिस्वामियों के हितों को ध्यान में रखते हुए उनके स्वामित्व की राष्ट्रीयकृत वनोपज काष्ठ को वन विभाग को विक्रय करने के संबंध में राज्य शासन द्वारा (म.प्र. शासन, वन विभाग का परिपत्रा क्र. एफ-4267/289/05/10-3 दिनांक 5 नवंबर 2005) यह विकल्प दिया गया है कि भूमिस्वामी चाहे तो वह वन विभाग के काष्ठागार में अपनी काष्ठ का पृथक लॉट बनवाकर विक्रय कर सकता है। उन्हें यह भी विकल्प दिया गया है कि वे अपने लाट का न्यूनतम विक्रय मूल्य निर्धारित करने के लिये अनुरोध कर सकते हैं तथा इस प्रकार निर्धारित लॉट का विक्रय इस प्रकार विकल्प दिये गये मूल्य से नीचे नहीं किया जाएगा। इस योजना से भूमिस्वामियों को निजी भूमि पर वृक्ष उगाने हेतु प्रोत्साहन मिलेगा।

साधिकार समिति एवं वनोपज अंतर्विभागीय समिति :

अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (उत्पादन) साधिकार समिति के सचिव की भूमिका भी निभाते है। न्यायालयीन प्रकरणों में प्रभारी अधिकारी की नियुक्ति हेतु मुख्य वन संरक्षक (उत्पादन) पदेन सचिव अंतर्विभागीय समिति की भूमिका निभाते है ।

अन्य वेबसाइट
संपर्क करें
  • कार्यालय प्रधान मुख्य वन संरक्षक,
    मध्यप्रदेश, वन भवन, तुलसी नगर, लिंक रोड नंबर-2, भोपाल- 462003
  • दूरभाष : +91 (0755) 2674240, 2524132
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